Sakat Chauth Vrat Katha 2025:- सकट चौथ, जिसे तिल चौथ, तिलकुट चौथ या माघ संकष्टी चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है, एक महत्वपूर्ण हिन्दू पर्व है।

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यह दिन भगवान गणेश और चंद्र देव की विशेष पूजा-अर्चना के लिए समर्पित होता है।
Sakat Chauth Vrat Katha 2025
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को करने से संतान की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और कष्टों से मुक्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
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यहां इस व्रत से जुड़ी तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, सामग्री, नियम और कथा को विस्तार से बताया गया है।
Sakat Chauth 2025 Date and Auspicious Celebration
सकट चौथ व्रत हर साल माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष 2025 में यह पर्व 17 जनवरी, शुक्रवार को पड़ेगा।
शुभ मुहूर्त:
- लाभ मुहूर्त: सुबह 8:34 से 9:53 तक।
- अमृत मुहूर्त: सुबह 9:53 से 11:12 तक।
इस दिन उपवास और पूजा के लिए इन शुभ मुहूर्तों का पालन करना अत्यंत फलदायी माना जाता है।
Sakat Chauth 2025 Vrat Niyam
सकट चौथ व्रत को विधिपूर्वक रखने के लिए निम्नलिखित नियमों का पालन करना चाहिए।
- स्वच्छता का ध्यान: प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें और व्रत का संकल्प लें।
- भगवान गणेश का पूजन: गणपति जी को हरे या पीले वस्त्र पहनाकर उनकी पूजा करें।
- तिलकुट और तिल के लड्डू: भगवान गणेश को तिल से बनी मिठाइयों का भोग लगाना न भूलें।
- चंद्रमा को अर्घ्य: शाम को चंद्र दर्शन के बाद जल से अर्घ्य अर्पित करें।
- काले वस्त्र न पहनें: इस दिन काले रंग के कपड़े पहनने से बचना चाहिए।
- तुलसी और केतकी के फूल: गणेश पूजा में इनका उपयोग अशुभ माना जाता है।
Sakat Chauth Vrat Puja Samagri
सकट चौथ की पूजा के लिए निम्नलिखित सामग्री आवश्यक होती है:
- गणेश जी की प्रतिमा या चित्र
- लाल फूल और 21 गांठ दूर्वा
- जनेऊ, सुपारी, पान के पत्ते
- लकड़ी की चौकी और पीला कपड़ा
- लौंग, रोली, अबीर, गुलाल
- गाय का घी, दीपक, धूप, गंगाजल
- मेहंदी, सिंदूर, इलायची, अक्षत, हल्दी, मौली
- 11 या 21 तिल के लड्डू, मोदक, फल, कलश
- चंद्रमा को अर्घ्य देने के लिए दूध और चीनी
- सकट चौथ व्रत कथा की पुस्तक
सकट चौथ व्रत की पूजा विधि
इस पावन दिन भगवान गणेश की पूजा निम्नलिखित विधि से की जाती है:
- स्नान और संकल्प: प्रातःकाल स्नान कर पूजा का संकल्प लें। स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थल की शुद्धि: पूजा स्थल को गंगाजल से पवित्र करें और भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र को स्थापित करें।
भगवान गणेश की पूजा:
- भगवान गणेश को दूर्वा, शमी पत्र, लाल फूल और तिल के लड्डू अर्पित करें।
- दीपक जलाएं और भगवान गणेश के मंत्र “ॐ गं गणपतये नमः” का जाप करें।
- गणेश आरती करें और तिल-गुड़ से बने प्रसाद का भोग लगाएं।
चंद्रमा को अर्घ्य:
- संध्या के समय चंद्रमा को जल, दूध और चीनी से अर्घ्य अर्पित करें।
- भगवान गणेश से अपने परिवार की सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें।
- व्रत का पारण: चंद्र दर्शन के बाद व्रत का पारण करें और प्रसाद ग्रहण करें।
Sakat Chauth Vrat Katha
सकट चौथ व्रत के साथ इसकी कथा सुनना अनिवार्य माना जाता है। यह कथा भगवान गणेश, माता पार्वती और भगवान शिव से संबंधित है।
एक बार भगवान शिव ने गणेश और कार्तिकेय से पूछा कि कौन देवताओं के कष्टों का निवारण कर सकता है। दोनों ने स्वयं को इसके लिए योग्य बताया। शिवजी ने कहा कि जो पहले पृथ्वी की परिक्रमा कर आएगा, वही यह कार्य करेगा।
कार्तिकेय अपने वाहन मोर पर सवार होकर पृथ्वी की परिक्रमा के लिए निकल गए। गणेश जी ने सोचा कि उनका वाहन चूहा है, जो बहुत धीमा है। तब उन्होंने माता पार्वती और भगवान शिव की सात बार परिक्रमा की और कहा कि माता-पिता के चरणों में ही समस्त लोक स्थित हैं।
गणेशजी की इस बात से भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्हें देवताओं के कष्टों का निवारण करने का आशीर्वाद दिया। उन्होंने यह भी कहा कि जो व्यक्ति चतुर्थी के दिन श्रद्धा से उनकी पूजा करेगा और चंद्रमा को अर्घ्य देगा, उसके सभी कष्ट दूर हो जाएंगे।
सकट चौथ पर क्या न करें?
- काले कपड़े न पहनें: यह अशुभ माना जाता है।
- तुलसी और केतकी के फूल का उपयोग न करें: ये पूजा में वर्जित माने जाते हैं।
- खंडित मूर्ति का पूजन न करें: यह शुभ नहीं माना जाता।
- चंद्र दर्शन के समय जल के छींटे पैरों पर न गिराएं: यह अशुभ संकेत माना जाता है।
सकट चौथ व्रत का महत्व
सकट चौथ व्रत का मुख्य उद्देश्य भगवान गणेश की कृपा से सभी कष्टों को दूर करना और परिवार में सुख-समृद्धि प्राप्त करना है। यह व्रत विशेष रूप से महिलाओं द्वारा अपनी संतान की लंबी आयु और कल्याण के लिए रखा जाता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने और व्रत कथा सुनने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
Sakat Chauth Ka Chand kitne baje niklega?
सकट चौथ 2025 पर चंद्रमा के उदय का समय भौगोलिक स्थिति के अनुसार अलग-अलग हो सकता है। सामान्यत: भारत के विभिन्न स्थानों पर चंद्रमा रात 8:30 बजे से 9:30 बजे के बीच उदित होगा।
सटीक समय जानने के लिए अपने शहर का पंचांग देखें या स्थानीय समयानुसार चंद्र उदय का समय सुनिश्चित करें। चंद्रमा को अर्घ्य देने के लिए पूजा सामग्री तैयार रखें और चंद्र दर्शन के बाद व्रत का पारण करें।